Collection of Hindi Poetry on Social Issue by Neha Soni.
एक दरिद्र की व्यथा
तिल-तिल मारता अपनी भूख को,
फिर भी नहीं जताता आक्रोश किसी को,,
रहता खाली पेट दिन-दिन भर,
फिर भी नहीं करता शिकायतें सालों भर,,
बताते है बिलखते आसुँ उसकी दरिद्रता का राज,लेकिन बोल नहीं पाता उस गरीब का स्वाभिमान आज,,
चितथड़े कपड़े और बिन चप्पल पाँव रहता,
खड़ा मानव स्तब्ध जो इस दरिद्रता को सहता रहता,,
बुरे इंतहान की घड़ी है जो अब सम्हली नहीं जा रही,और यह गरीबी मुझे पल-पल जीते जी मार रही,,
क्या करूँ उस ईश्वर से भी फरियाद अब?
जो खुद छोड़ दिया मुझे इस दरिद्र जीवन में अब,,
हो इस दरिद्रता का नाश पुरे संसार में,
जब हर इंसान इंसानियत दिखाये उस दरिद्र में,,
महंगाई का सच
चली आ रही है वर्षों से महंगाई,
लेकिन ये बात उच्च वर्ग को कभी न समझ आई,हो रहा हर निम्न वर्ग परेशान,
फिर भी खा रहा अपनी मेहनत की कमाई,,
प्रशासन,राजनीतिक नेता,उद्योगपति,सरकार
हर कोई उठा रहा इसका फायदा,
वही गरीब,मध्यम वर्ग,व्यापारी,आर्थिक वर्ग
पिस रहा इस महंगाई में जरूरत से ज्यादा,,
सरकार फिर भी दे रही निम्न वर्ग को सहारा,
लेकिन कही न कही मध्यम वर्ग इस महंगाई
के जाल में फस रहा,और उच्च वर्ग महंगाई में भी घूसखोरी कर पैसा कमा चैन की नींद सो रहा,,,
अरे!जब कर नहीं सकते महंगाई कम,
तो बढ़ा क्यों रहे इसे तुम,,
लगाओ इस महंगाई पर लगाम,
क्योंकि इस महंगाई से देश को बचाना है तुम्हारा काम,,
कलंकित जाति व्यवस्था
प्राचीन काल से कहते आ रहे है ऊँची जाति महान,यही लोग करते है हर बार नीची जाति का अपमान,,
कैसी है?ये जाति व्यवस्था जहाँ मानव को उसकी जात देखकर उसे सम्मानित किया जाता है,भले ही वह ऊँची जात होकर अपने औछे कर्म करता है,फिर भी वह सबकी नजरों में सर्वश्रेष्ठ कहलाता है,,
तुम आजाद हो आज तो किसी ऊँची जाति के व्यक्ति से नहीं,बल्कि वही नीची जाति के महान व्यक्ति की वजह से,,
देश का संविधान भी बना छोटी जाति के लोगों से,फिर अपमानित क्यों करा जाता है नीची जाति के रहने से,,
नहीं होती कोई जात-पात की व्यवस्था फिर भी अलग-अलग विभाजित कर दी गयी वर्ण व्यवस्था, अरे!जब धर्म ही हो समान,
तो फिर क्यों कलंकित करते हो,
नीची मानव जाति का आत्मसम्मान,,
संदेश है!सबके लिए आज,
बनना है तो कर्म से बनो महान,
गर जाति से बनोगे महान,,
तो पाप के भागी ही बन हर बार
तुम भी किये जाओगे अपमान,,
शिक्षित बेकारी हुई सब भारी
हर शिक्षित वर्ग इस बेकारी से जुझ रहा,
और एक-एक युवा इस बेरोजगारी को झेल रहा,,
हो!परेशान जीविका अर्जन में शारीरिक-मानसिक रूप से,
ये दोनों ही व्याधियाँ करती परेशान जीवन नष्ट के जैसे
अरे!श्रमिक वर्ग भी कुछ ना कुछ कमा ही
लाखों की तादाद में लोग शिक्षित होते है,
लेकिन उन्हें रोजगार देने वाले नौकरशाह खुद अपाहिज होते है
कहते है नौकरशाही तो चली गयी
लेकिन उसकी बू नहीं गयी,
जागरूक हो हर युवा और उठाओ आवाज इनके खिलाफ,अब बारी तुम्हारी क्योंकि तुम्हें ही दूर करना ये बेकारी,,
पुरुष स्त्री में असमानता
समाज ऐसा की हर घड़ी पितृ सत्ता को ऊँचा रखता,वही जब पुरुष समान हो खड़ी स्त्री तो समाज उसे हर वक़्त नीचा दिखाता,,
ईश्वर ने दोनों को ही समान रूप से बनाया,
दोनों के हर अधिकार को भी समान रूप दिया,लेकिन फिर भी क्यों समाज ने पुरुष-स्त्री को असमानता के स्वरूप खड़ा कर दिया,,
शिक्षा,व्यापार,आर्थिक,ही क्यों ना हों,
हर अधिकार से स्त्री को वंचित किया जाता,,
क्योंकि पुरुष को सबसे महान समझा जाता,
और स्त्री को हर पुरुष के सामने असमान बताया जाता,,
क्यों स्त्री पुरुष में भेदभाव किया जाता है?
क्यों हर स्त्री को चार दीवारों में रहने दिया जाता है?पुरुष के सारे है समान अधिकार,
तो फिर क्यों स्त्री को बनाया जाता
सरे आम असमानता का शिकार,,
प्रतिबंध लगाओ इस असमानता में,
जागरुकता बढ़ाओ हर एक समाज में,,
नहीं है कोई पुरुष और स्त्री असमान,
क्योंकि ईश्वर ने बनाया दोनों को समान,,
बेरोजगारी का कहर
कैसा?ये कहर महामारी की तरह आया,
जहाँ सबने ही बेरोजगारी को अपनी बीमारी बताया,,
हाथ में लिए डिग्रीयों को हर दिन ढुंढता नौकरी,लेकिन क्या पता?वापिस खाली हाथ लौटना पड़ा उसे अपनी गली,,
सत्ता में आने के लिए हर दल का नेता हजार भर्ती का लालच देता,लेकिन यहाँ लाखो बेरोजगार बैठे युवा में दस ही रोजगार लेता,,
हर माह योजनाओ की झड़ी एक के बाद एक लगाते,लेकिन उनमें से एक को भी लाभ मिले यह भी बता नहीं पाते,,
चुनाव आते ही नेताओं की योजना एक पन्ने में लिख दिया जाता,लेकिन इस बेरोजगारी को खत्म करे ये नेताओं में नहीं
यह उनकी औकात से माप लिया जाता,,
आरक्षण बना अभिशाप
हर राज्य क्या पूरे देश में मारा मारी है,
आरक्षण नहीं बीमारी है,,
देश का युवा लिए फिरता हजार डिगरिया,
यहाँ आरक्षण से मिल रही बेरोजगारीया,,
ज्ञान का भंडार हर किसी के पास यहाँ,
लेकिन ज्ञानी लोग से बड़ा आरक्षण ही सबसे महान यहाँ,,
किसी ना किसी जाति को मिल ही जाता आरक्षण,
लेकिन इसका स्वरूप किसी भक्षण से कम नहीं,,
शिक्षा राजनीति जहाँ देखो आरक्षण ही बना सबका बाप,,
लेकिन इन्हें नहीं पता यही जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप है,,
About The Poet
नाम- नेहा सोनी
Instagram Id- @neha_thoughts_028



3 Comments
Excellent superb mind-blowing 👍👌👌
ReplyDeleteThank you
DeleteAwesome work well penned
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